ताजमहल: एक अमर प्रेम कहानी
ताजमहल: एक अमर प्रेम कहानी
भारत के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे स्थित ताजमहल, न केवल एक अद्भुत वास्तुकला का नमूना है, बल्कि यह सम्राट शाहजहाँ और उनकी प्रिय पत्नी मुमताज़ महल के अमर प्रेम की निशानी भी है। यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है और हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
प्रेम कहानी की शुरुआत
ताजमहल की कहानी 17वीं शताब्दी में शुरू होती है, जब मुगल सम्राट जहाँगीर के पुत्र शाहजहाँ, जिन्हें उस समय ख़ुर्रम के नाम से जाना जाता था, की मुलाकात एक खूबसूरत फ़ारसी राजकुमारी अर्जुमंद बानो बेगम से हुई। अर्जुमंद बानो, जो बाद में मुमताज़ महल (महल का चुना हुआ गहना) के नाम से प्रसिद्ध हुईं, उनकी सुंदरता, बुद्धिमत्ता और दयालुता ने ख़ुर्रम का दिल जीत लिया। 1612 ईस्वी में उनका विवाह हुआ और उनका प्रेम अटूट और गहरा होता चला गया। मुमताज़ महल न केवल उनकी पत्नी थीं, बल्कि उनकी सबसे करीबी दोस्त, सलाहकार और विश्वासपात्र भी थीं। वह शाहजहाँ के साथ उनके सैन्य अभियानों में भी जाती थीं और उनकी हर खुशी और गम में शामिल होती थीं।
एक दुखद अंत और एक भव्य संकल्प
यह प्रेम कहानी एक दुखद मोड़ लेती है जब 1631 ईस्वी में, दक्कन में एक सैन्य अभियान के दौरान, मुमताज़ महल का बुरहानपुर में अपने 14वें बच्चे, गौहर आरा बेगम को जन्म देते समय निधन हो गया। मुमताज़ महल की मृत्यु ने शाहजहाँ को तोड़ दिया। कहा जाता है कि वह इतने गहरे शोक में डूब गए थे कि उन्होंने एक साल तक सार्वजनिक उपस्थिति से परहेज किया और उनके बाल और दाढ़ी कुछ ही दिनों में सफेद हो गए।
अपनी प्रिय पत्नी की अंतिम इच्छाओं में से एक यह थी कि शाहजहाँ उनके लिए एक ऐसा मकबरा बनवाएँ जो उनके प्रेम को अमर कर दे और ऐसा हो जिसकी कोई तुलना न हो। शाहजहाँ ने अपनी पत्नी को दिया यह वचन पूरा करने का संकल्प लिया और तभी से एक ऐसे स्मारक की कल्पना की गई जो सदियों तक उनके प्रेम की कहानी कहता रहे।
निर्माण की गाथा
ताजमहल का निर्माण 1631 ईस्वी में शुरू हुआ। यह सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि एक कलात्मक उत्कृष्ट कृति बनने वाली थी। इसके निर्माण में लगभग 22 वर्षों का समय लगा और यह 1653 ईस्वी में पूरा हुआ। इस भव्य परियोजना में उस समय के अनुमानित 3.2 करोड़ रुपये (आज के अरबों रुपये के बराबर) की लागत आई।
ताजमहल को बनाने के लिए भारत, मध्य एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों से 20,000 से अधिक कुशल कारीगरों, मजदूरों, चित्रकारों, पत्थर काटने वालों और सुलेखकों को लगाया गया था। इसके लिए सफेद संगमरमर राजस्थान के मकराना से लाया गया था, जबकि अन्य कीमती पत्थर जैसे जेड, क्रिस्टल, फ़िरोज़ा, लैपिस लज़ुली, नीलम और हीरे तिब्बत, चीन, अफगानिस्तान, श्रीलंका और अरब देशों से आयात किए गए थे। लगभग 1,000 हाथियों का उपयोग निर्माण सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किया गया था।
ताजमहल का डिज़ाइन एक रहस्य बना हुआ है, लेकिन इसे अक्सर उस्ताद अहमद लाहौरी को मुख्य वास्तुकार के रूप में श्रेय दिया जाता है। यह मुगल, फ़ारसी, इस्लामी और भारतीय वास्तुकला शैलियों का एक अनूठा संगम है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।
वास्तुकला की महिमा
ताजमहल का मुख्य मकबरा एक ऊंचे चबूतरे पर बना है और पूरी तरह से सफेद संगमरमर से ढका हुआ है। इसकी चार समान मीनारें हैं, जो थोड़ी बाहर की ओर झुकी हुई हैं ताकि भूकंप की स्थिति में वे मुख्य संरचना पर न गिरें। मकबरे के अंदर, मुमताज़ महल और शाहजहाँ की कब्रें हैं, जो जटिल रूप से नक्काशीदार संगमरमर की जाली से घिरी हुई हैं। हालांकि, ये वास्तविक कब्रें नहीं हैं, बल्कि इनके नीचे निचले स्तर पर असली कब्रें स्थित हैं।
(Pietra Dura) कुरान की आयतें अरबी सुलेख में खूबसूरती से उकेरी गई हैं, जो इमारत को एक आध्यात्मिक आभा प्रदान करती हैं। मुख्य मकबरे के अलावा, परिसर में एक मस्जिद, एक मेहमानखाना (जवाब) और एक भव्य चारबाग (फ़ारसी शैली का बगीचा) भी है, जो परिसर की सुंदरता को और बढ़ाता है। यह बगीचा स्वर्ग की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें नहरें चार भागों में विभाजित हैं।
एक विरासत जो जीवित है
शाहजहाँ का सपना था कि ताजमहल एक ऐसा स्मारक बने जो समय की कसौटी पर खरा उतरे, और यह सच साबित हुआ है। 1658 में, शाहजहाँ को उनके बेटे औरंगज़ेब ने कैद कर लिया और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम आठ साल आगरा किले में बिताए, जहाँ से वह यमुना नदी के पार ताजमहल को निहारते थे। उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें मुमताज़ महल के बगल में ही दफनाया गया।
आज, ताजमहल दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्मारकों में से एक है। इसे 1983 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था और यह भारत के सबसे बड़े पर्यटन स्थलों में से एक है। यह लाखों आगंतुकों को आकर्षित करता है, जो न केवल इसकी वास्तुकला की भव्यता को देखने आते हैं, बल्कि उस अमर प्रेम कहानी को भी महसूस करने आते हैं जिसने इस अद्भुत स्मारक को जन्म दिया। ताजमहल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि प्रेम, कला, समर्पण और मुगल साम्राज्य की समृद्ध विरासत का प्रतीक है, जो सदियों से लोगों को प्रेरित कर रहा है और आगे भी करता रहेगा।
क्या आप ताजमहल से जुड़े किसी खास पहलू, जैसे कि इसके निर्माण में शामिल रहस्य या इसके रंग बदलने की घटना के बारे में जानना चाहेंगे?
Comments
Post a Comment